अगर आपके पास डाक जीवन बीमा पॉलिसी है तो आज के समय में आपके मन में एक सवाल आ रहा होगा कि क्या मुझे अब अपनी डाक जीवन बीमा पॉलिसी सरेंडर- Surrender a Postal life insurance policy कर देनी चाहिए, और उसे प्रीमियम अमाउंट को कहीं और जगह इन्वेस्टमेंट में लगा देना चाहिए|
यहां आज विस्तार से चर्चा करेंगे की क्या वाकई में आपका अपनी बीमा पॉलिसी बंद कर उसकी प्रीमियम की रकम को कहीं और इन्वेस्ट करना है या फिर किसी फाइनेंशियल जरूरत के लिए अपनी पॉलिसी को बंद करना सही रहेगा|
इससे पहले कि हम इस बारे में जाने की आपको अपनी डाक जीवन बीमा पहुंची सरेंडर करनी चाहिए या नहीं हम एक उदाहरण लेते हैं कि आपने कोई आम का पेड़ लगाए कुछ सालों तक उसे पेड़ की देखभाल करने के बाद अब आपको किसी ने सलाह दी कि आप आम की जगह सेब का पेड़ लगा दें उसमें ज्यादा फल मिलेंगे |
तो अगर आप पूछेंगे कि मैं आम के पेड़ को काटकर अब सेब का पेड़ लगा दूं तो क्या उसे पर आप मुझे सेब कितने समय बाद मिलेंगे और से मुझे कितना लाभ होगा , यह निर्णय आपको लेना है की आपको आम के पेड़ को काटकर सेब का पेड़ लगाना है या फिर जो आम का पेड़ आपने लगाया है उसे फल लगने का इंतजार करना है|
जीवन बीमा पॉलिसी भी इस तरह से काम करती है शुरू के कुछ वर्षों का प्रीमियम का अधिकतर भाग आपका रिस्क कवर में चला जाता है यानी कि अगर आपने ₹100 का प्रीमियम जमा करा है तो शुरू के कुछ वर्षों में 60 से 70% प्रीमियम का भाग रिस्क फंड में चला जाता है और बहुत कम रकम निवेश में प्रयोग होता है|
लेकिन जैसे आपकी पॉलिसी की समय सीमा बढ़ती जाती है आपका अधिकतर भाग फिर इंश्योरेंस कंपनी द्वारा निवेश में प्रयोग में लाया जाता है और तब आपको असली फायदा होता है इसीलिए ज्यादातर इंश्योरेंस कंपनियों में 3 साल से पहले सरेंडर करने की सुविधा नहीं होती है और आप सरेंडर करते भी हैं तो आपको बहुत कम रकम मिलती है क्योंकि इस शुरू के समय में कंपनी है आपको रिस्क प्रदान करने के लिए एक रिस्क फंड बना रखा था जसमे कि आपका प्रीमियम चला जाता है|
तो क्या मुझे आज के समय में अपनी डाक जीवन बीमा पॉलिसी को बंद कर देना चाहिए या सरेंडर कर देना चाहिए तो यह निर्णय लेने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना होगा, यदि आप केवल इसलिए अपने डाक जीवन बीमा पॉलिसी बंद कर रहे हैं कि आपको उस प्रीमियम को को आप कहीं और इन्वेस्ट करना है, तो आपको इस बारे में बहुत सोच समझकर निर्णय लेना होगा क्योंकि आपके द्वारा डाक जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करने पर आपका जमा प्रीमियम का कुछ भाग ही वापस किया जाता है|
वहीं दूसरी ओर अगर आप किसी फाइनेंशियल मजबूरी की वजह से अपने डाक जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करने की सोच रहे हैं तो इससे पहले आपको कहीं सारे बातों पर ध्यान रखना होगा और जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर कर उसके पैसे की किसी जरूरत के लिए प्रयोग में लाना आपके लिए अंतिम विकल्प होना चाहिए|
तो यदि आप फिर भी अपनी डाक जीवन में पॉलिसी को बंद करना चाहते हैं तो उससे पहले हो सके तो आप उस पर लोन लेने की सोचें सामान्यतः डाक जीवन में पॉलिसी में आपकी डाक जीवन बीमा पॉलिसी के सेरेंडर वैल्यू का 90% तक लोन मिल जाता है तो इससे आपको यह आईडिया लग जाएगा की आपको अपने डाक जीवन में पॉलिसी बंद करने पर कितनी रकम मिलेगी|
एक उदाहरण सब समझते हैं कि अब डाक जीवन बीमा पॉलिसी को 3 साल से पहले बंद नहीं कर सकते यदि आप चौथे या 5 साल बंद कर रहे हैं तो आपको बोनस भी नहीं मिलेगा | 5 साल पूरा होने के बाद ही आपको बोनस की गणना आपकी पॉलिसी में होगी तो इस प्रकार अगर आप 5 साल में अपनी पॉलिसी बंद कर रहे हैं और आपने अब तक कुल ₹1000 जमा कर दिया तो आपको केवल अनुमान के तौर पर जमा प्रीमियम का 50% से 60% तक ही वापस मिलेगा|
तो इस प्रकार आप अपनी पॉलिसी को सरेंडर करने पर हमेशा ही अपना नुकसान करते हैं इसलिए अगर आपने अपनी कोई पॉलिसी ले रखी है तो उसे पॉलिसी को आप जारी रखने की सोच सकते है क्योंकि आपका अधिकतर प्रीमियम जो की रिस्क फंड में जाता है वह लगभग अब पूरा हो चुका होता है|
डाक जीवन बीमा पॉलिसी सरेंडर करने के कारण
कई कारणों से लोग अपनी पीएलआई पॉलिसी सरेंडर करने का फैसला लेते हैं | इन कारणों को समझने से पॉलिसीधारकों को यह तय करने में मदद मिलती है कि उनके लिए पीएलआई पॉलिसी सरेंडर करना सही विकल्प है या नहीं.
i. आर्थिक कठिनाई
आर्थिक कठिनाईयां कभी भी अचानक आ सकती हैं, जिससे पॉलिसीधारकों के लिए प्रीमियम का भुगतान जारी रखना मुश्किल हो जाता है| ऐसी परिस्थितियों में, पॉलिसी सरेंडर करना धन प्राप्त करने का एकमात्र विकल्प लग सकता है |
ii. अपर्याप्त रिटर्न
कई बार पॉलिसीधारक पा सकते हैं कि उनकी पीएलआई पॉलिसी से मिलने वाला रिटर्न उनकी उम्मीदों या निवेश के लक्ष्यों को पूरा नहीं कर रहा है तो पीएलआई पॉलिसी के प्रदर्शन से असंतुष्टि उन्हें बेहतर निवेश के अवसरों की तलाश में इसे सरेंडर करने के लिए प्रेरित कर सकती है |
iii. बदलते जीवन के हालात
कई बार परिस्थितियाँ समय के साथ बदल सकती हैं तो पॉलिसीधारक को लगता हैं कि उनकी बीमा संबंधी ज़रूरतें बदल गई हैं, और पीएलआई पॉलिसी द्वारा प्रदान किए जाने वाले लाभ अब उनकी वर्तमान स्थिति के अनुरूप नहीं हैं | पॉलिसी सरेंडर करने से उन्हें अन्य बीमा विकल्पों को चुनने की सुविधा मिलती है जो उनकी आवश्यकताओं के अनुसार बेहतर हों |
डाक जीवन बीमा पॉलिसी सरेंडर करने के प्रभाव
पॉलिसी सरेंडर करने की प्रक्रिया शुरू करने से पहले, यह समझना महत्वपूर्ण है कि आपके वित्तीय स्थिति और बीमा कवरेज पर इसका क्या प्रभाव पड़ सकता है. यहां कुछ प्रमुख बातों पर विचार किया जाना चाहिए:
i. बीमा कवरेज का नुकसान:
अपनी पीएलआई पॉलिसी सरेंडर करने का मतलब है कि आप इसके द्वारा प्रदान किए जाने वाले जीवन बीमा कवरेज को छोड़ रहे हैं ओर यह किसी अप्रत्याशित परिस्थिति में आपको और आपके प्रियजनों को वित्तीय जोखिमों का सामना करने के लिए कोई विकल्प नहीं रहता है |
ii. बीमा लाभों का रद्दीकरण:
बीमा कवरेज के साथ-साथ, पॉलिसी सरेंडर करने से उससे जुड़े किसी भी लाभ को ज़ब्त होगा ओर इसमें मृत्यु लाभ, परिपक्वता लाभ और पॉलिसी से जुड़े अन्य लाभ शामिल हैं |
iii. कम सरेंडर वैल्यू
आपकी पीएलआई पॉलिसी के नियमों और शर्तों के आधार पर, सरेंडर राशी शुरू के वर्षो में काफी कम रहती है इस प्रकार पीएलआई पॉलिसी सरेंडर करने से नुकसान होता है |
iv. बोनस हानि: यदि पीएलआई पॉलिसी को 5 वर्ष पूरे होने से पहले सरेंडर कर दिया जाता है, तो पीएलआई पॉलिसी के सरेंडर मूल्य की गणना के लिए किसी भी बोनस पर विचार नहीं किया जाता है.
डाक जीवन बीमा पॉलिसी सरेंडरर के बदले अन्य विकल्प
यदि आप अपनी पीएलआई पॉलिसी सरेंडर करने का विचार कर रहे हैं, तो अंतिम निर्णय लेने से पहले कुछ विकल्पों को देख सकते है. यहां देखने के लिए कुछ विकल्प इस प्रकार हैं:
i. पॉलिसी लोन:
पॉलिसी सरेंडर करने के बजाय, आपके पास अपनी पीएलआई पॉलिसी के सरेंडर मूल्य के एवज में लोन लेने का विकल्प हो सकता है | यह आपको पॉलिसी को बरकरार रखते हुए धन प्राप्त करने की अनुमति देता है | हालांकि, लोन के नियमों और शर्तों और पॉलिसी पर इसके प्रभाव को समझना महत्वपूर्ण है | लोन पर विचार किया जाएगा यदि पॉलिसी प्रीमियम का भुगतान अद्यतन है और न्यूनतम प्रीमियम का भुगतान 36 महीने तक किया गया है.
ii. प्रीमियम कम करना:
आप हर महीने भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम राशि को कम करने पर विचार कर सकते हैं | नई प्रीमियम राशि आपके शेष अवधि, अब तक भुगतान किए गए प्रीमियम आदि जैसे विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है |यह पॉलिसी सरेंडर किए बिना आर्थिक कठिनाई के दौरान राहत प्रदान कर सकता है | हालांकि, प्रीमियम कम करने से जुड़े नियमों और शर्तों को समझना महत्वपूर्ण है |
iii. बीमा राशि कम करना:
यदि सरेंडर करने पर विचार करने का कारण उच्च प्रीमियम राशि है, तो आपके पास अपनी पीएलआई पॉलिसी की बीमा राशि कम करने का विकल्प हो सकता है | बीमा राशि कम करने से, प्रीमियम भुगतान ओर रिस्क कवर कम हो सकता है, जबकि अभी भी कुछ स्तर का बीमा सुरक्षा बना रहता है | इस विकल्प को चुनने से पहले अपनी बीमा जरूरतों का सावधानीपूर्वक आकलन करना उचित है |
iv. पॉलिसी रूपांतरण: कन्वर्शन
आपकी पीएलआई पॉलिसी के नियमों और शर्तों के आधार पर, आपके पास इसे बीमा पॉलिसी की परिपक्वता अवधि के एक अलग प्रकार में बदलने का विकल्प हो सकता है | यह रूपांतरण आपको अपनी बदलती जरूरतों के अनुसार पॉलिसी की शर्तों को समायोजित करते हुए बीमा कवरेज के लाभों को बनाए रखने की अनुमति देता है | इस संभावना का पता लगाने के लिए रूपांतरण या कम्यूटेशन कैलकुलेशन्स प्राप्त करने के लिए अपने निकटतम डाकघर से संपर्क करें |
v. सेरेंडर वैल्यू की गणना करना:– डाक जीवन बीमा पॉलिसी को सरेंडर करने से पहले आपको अपनी पॉलिसी पर मिलने वाली सेरेंडर वैल्यू की रकम की गणना नजदीकी डाकघर में या डाक जीवन बीमा ग्राहक पोर्टल से डाउनलोड करके चेक कर लेनी चाहिए ताकि आपको यह अनुमान हो सके कि आपकी पॉलिसी बंद करने पर आपको कुल कितना रकम अब सेरेंडर रकम के रूप में मिलेगी|
इन विकल्पों पर विचार करने से आपको एक सचेत निर्णय लेने में मदद मिल सकती है जो आपके वित्तीय लक्ष्यों और बीमा आवश्यकताओं की गणना करता है |
इस प्रकार अपने डाक जीवन बीमा पॉलिसी सरेंडर या बंद करने से पहले ऊपर दिए गए सभी कर्म को अच्छी तरह से समझ लीजिए और उसके बाद ही आपको निर्णय किया क्योंकि डाक जीवन बीमा पॉलिसी में जमा किया गया प्रीमियम भी आपकी ही बचत में से एक हिस्सा है|
तो इस प्रकार डाक जीवन में पॉलिसी को बंद करने का निर्णय सोच विचार करके अपनी बीमा की जरूरत को देखते हुए और भविष्य में अन्य इन्वेस्टमेंट अपॉर्चुनिटी को ध्यान में रखकर ही लेना चाहिए|